वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-अभिनेता नाना पाटेकर ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि बनारस की कहानियां खूब सुनी हैं। मगर, पहली बार बनारस के अलमस्त जिंदगी पर बन रही फिल्म में काम करने का मेरा अनुभव बिल्कुल नया है। जर्नी की कहानी में थोड़े आंसू और ज्यादा खुशी है। मैं तो बनारस को महसूस भी कर रहा हूं।
अस्सी घाट पर काशी की मस्त मौला जिंदगी की कहानी को समेटे जर्नी फिल्म का मुहूर्त रामधुन के बीच संपन्न हुआ। सूट बूट में पहुंचे सिने अभिनेता नाना पाटेकर ने लाइट, कैमरा, एक्शन... के बाद अभिनय शुरू किया। इस दौरान उनके साथ कलाकार डमरू, झाझ, मंजीरा बजाते दिखाई दिए। इससे पहले महापौर अशोक कुमार तिवारी ने सेट पर ही उनका स्वागत किया। महापौर ने फिल्म के पहले दृश्य का मुहूर्त फि्लप बजाकर किया।
अस्सी घाट के सजे धजे लोकेशन पर काशी की संस्कृति के अनुरूप साधु संतों के दल को भजन करते हुए फिल्माया गया। भगवा वस्त्र पहने देसी विदेशी झाल, मंजीर और ढोल पर मस्त मलंग काशी में रामधुन गाते चल रहे थे। संवासिनियां भी शामिल थीं। फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे नाना पाटेकर सूट के साथ शॉल डाले भजन मंडली के बीच रामधुन गा रहे थे। शाम को लंका पर अभिनेता संजय मिश्र का सीन शूट किया गया। इससे पूर्व फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा ने परिवार के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। इस फिल्म में काशी के करीब 500 कलाकारों को अभिनय करने का मौका मिला है। फिल्म जर्नी की शूटिंग काशी में 22 अलग अलग स्थानों पर 25 दिन होगी। निर्देशक अनिल शर्मा ने कहा कि काशी में मृत्यु भी उत्सव है। फिल्म जर्नी दरअसल घर से तीर्थ तक की यात्रा है।
सेंसर बोर्ड के दायरे में होने चाहिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स
गदर-2 के बाद जर्नी फिल्म का निर्देशन कर रहे अनिल शर्मा ने शूटिंग के दौरान मीडिया से कहा कि सेंसर बोर्ड के दायरे में नहीं होने के चलते ओटीटी कुछ ज्यादा ही बोल्ड हो गया है। इसे उचित नहीं कहा जा सकता। बेशक यह हमारे हाथ में है कि हम क्या देखें, क्या ना देखें लेकिन इसका यह कतई यह मतलब नहीं है कि दर्शकों को कुछ भी परोसा जाए। किसी को भी बाउंड्री लाइन तोड़ने का हक नहीं है। यह भी सच है कि ओटीटी के कारण कई लोगों को काम मिला है। कई नए कलाकार चमके हैं लेकिन इसे सेंसर बोर्ड के दायरे में लाया जाना चाहिए।
बनारस की कहानी में काम करना ही मेरे के लिए नया अनुभव
अभिनेता नाना पाटेकर ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि बनारस की कहानियां खूब सुनी हैं। मगर, पहली बार बनारस के अलमस्त जिंदगी पर बन रही फिल्म में काम करने का मेरा अनुभव बिल्कुल नया है। जर्नी की कहानी में थोड़े आंसू और ज्यादा खुशी है। मैं तो बनारस को महसूस भी कर रहा हूं।
गुरु अब बनारस में पहले वाला मजा नहीं
शूटिंग के बीच समय निकालकर घूमने निकले अभिनेता संजय मिश्र ने कहा कि गुरु, बनारस में अब पहले वाला मजा नहीं रहा। यहां के लोग बदल गए हैं। बनारस में सुधार हुआ है, लेकिन यहां के इंसान बर्बाद हो गए हैं। बनारसगिरी जिंदा रखो यही बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि जब समय मिलता है बनारस आ जाता हूं।